"विभाजित 19 का दूसरा चरण"
हाहाकार और अफरा तफ़री का माहौल! देश में स्वास्थ्य इमरजेंसी लगनी चाहिए?
कोविद -19 महामारी ने देश के अंदर अपना तांडव मचा रखा है! चारों ओर हाहकार और अफरा तफ़री का माहौल है!
दवाइयों के ऑक्सीजन अस्पताल में बेड का अभाव साफ सुनाई दे रहा है! केंद्र राज्य और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के बीच कीमत को लेकर विवाद सुनाई दे रहा है, तमाम बातों के बीच, यह भी सुनाई दे रहा है कि देश के सवालों को देखने देश में सरकार स्वास्थ्य इमरजेंसी क्यों नहीं लगा रही है,? सवाल यह है कि क्या स्वास्थ्य इमरजेंसी लगने के बाद देश के हालात सुधर जाएंगे? क्योंकि देश में सरकार भी वही है और ब्यूरोक्रेट भी वही हैं और देश के हालात भी वही हैं, बदलेगा क्या केवल नाम और वह नाम है हेल्थ इमरजेंसी? यदि सरकार और ब्यूरोक्रेट समय ध्यान देते हैं तो शायद आज यह स्थिति ही नहीं बनेगी! देश में कोरोना महामारी के नेतृत्व में विधानसभाओं पंचायत राज और निकायों के चुनाव भी हुए और हरिद्वार में कुंभ जैसा धार्मिक आयोजन भी हुआ!
एक तरफ देश में कोरोना महामारी के मरीजों की संख्या बढ़ रही थी तो वही दूसरी तरफ पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में नेता चुनावी सभाएं और रैलियां कर रहे थे तो वही हरिद्वार में गंगा में श्रद्धालु डुबकियां लगा रहे थे इधर देश में कोरोना से लोग मर रहे थे ! जनता के भीतर से आवाज उठ रही थी की पांच राज्यों के चुनावों और कुंभ मेले को निरस्त कर दिया जाए लेकिन चुनाव भी संपन्न हुई और कुंभ भी संपन्न हुआ, जनता का सवाल और कोरोना महामारी जहां थी वही रही बल्कि बढ़ती चली गई !
लोग चुनाव आयोग पर सवाल खड़े करते रहे लेकिन अंत तक चुनाव आयोग टस से मस नहीं हुआ ! ऐसे में क्या हेल्थ इमरजेंसी लगने के बाद कोरोना महामारी में सुधार हो जाएगा, क्योंकि सरकार भी वही है और ब्यूरोक्रेट भी वही हैं, जिनकी मौजूदगी में चुनाव भी हुए और कुंभ का धार्मिक आयोजन भी हुआ !
70 साल मैं देश के अंदर अनेक जान लेवा बीमारियां आई उन बीमारियों के निराकरण के लिए दवाइयां भी बनी और टीका भी बना, देश भर में सरकार की ओर से टीकाकरण अभियान भी चला और दवाई भी पिलाई गई, लेकिन दवाई और टीकाकरण को लेकर ऐसी आवाज पहले कभी नहीं सुनाई दी जैसी आवाज अब सुनाई दे रही है ! खसरा टी वी जैसे अनेक बीमारियों के टी के देश के विभिन्न अस्पतालों में आज भी मौजूद हैं जो मुफ्त में नवजात शिशुओं के लगाए जाते हैं ! देशभर में पल्स पोलियो अभियान अभी भी जारी है दो बूंद जिंदगी की दवाई आज भी घर घर जाकर पिलाई जाती है, क्या कभी देश ने पल्स पोलियो अभियान पर केंद्र और राज्य सरकारों को झगड़ते हुए देखा जैसा विवाद कोरोना वैक्सीन को लेकर आज देखा जा रहा है !
कोरोना वैक्सीन नीति ठीक वैसी है जैसे एक पिता अपनी जायदाद का बटवारा करता है, और गोदाद को लेकर पिता और पुत्रों के बीच में विवाद खड़ा हो जाता है कि आप पक्षपात कर रहे हो बड़े बेटे को तो इतना दे रहा हो और छोटे को कम दे रहे हो ठीक कोरोना वैक्सीन को लेकर भी नजारा ऐसा ही दिखाई दे रहा है! जहां राज्य केंद्र सरकार पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए आ रहे हैं चाहे वह वैक्सीन वितरण का सवाल हो या फिर वैक्सीन के दामों का सवाल हो! तरह से होगा!
अब सवाल वही है क्या देश में स्वास्थ्य इमरजेंसी लगी है?
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देवेंद्र यादव सीनियर जर्नलिस्ट |
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