कॉन्ग्रेस : अध्यक्ष का चुनाव कोरोना महामारी की भेंट चढ़ा !
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का सही मुहूर्त नहीं निकल पा रहा है, कांग्रेस की ओर से यह घोषणा की थी की पांच राज्यों के चुनाव के बाद जून के प्रथम सप्ताह में कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल जाएगा जाहिर था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो जाएगा लेकिन पांच राज्यों के चुनाव समाप्त हो गए ऐसे में स्वाभाविक था की कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर आवाज उठती, आवाज उठने से पहले ही सोमवार 10 मई को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर चर्चा हुई चर्चा में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना महामारी के कारण अध्यक्ष के चुनाव को टालने की वकालत की जिसे मान भी लिया गया है, अब कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अनिश्चित काल तक के लिए टल गया है श्रीमती सोनिया गांधी ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष के पद पर बनी रहेंगी !
अब सवाल उठता है कि कोरोना काल में कॉन्ग्रेस ने पांच राज्यों मैं विधानसभा का चुनाव लड़ा था और जिस नेता ने कांग्रेस वर्किंग कमिटी की मीटिंग में कोरोना को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को टाल ने का सुझाव दिया था, कोरोना काल में उनके राज्य राजस्थान में तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे थे और इन चुनावों में वह व्यस्त थे यही नहीं वह केरल विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी भी थे और असम मैं भी स्टार प्रचारक के रूप में प्रचार करने भी गए थे !
जब विधानसभा के चुनाव में कोरोना महामारी मैं भी कांग्रेस के प्रचार को लेकर जग हंसाई नहीं हुई ऐसे मैं यह कैसे कह सकते हैं कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर जग हंसाई हो जाएगी ? कांग्रेस के नेताओं को जग हंसाई की यदि इतनी ही चिंता है तो जग हंसाई तो इस बात को लेकर भी हो रही है कि, देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अभी तक अपना स्थाई अध्यक्ष तक नहीं चुन पा रही है ?
दरअसल कांग्रेस के अंदर समस्या यह है कि कांग्रेस के क्षत्रप चाहते ही नहीं है कि राहुल गांधी या प्रियंका गांधी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, क्योंकि कांग्रेस के स्वयंभू नेताओं को सोनिया गांधी अधिक सूट करती हैं ! कांग्रेस के भीतर एक बड़ा तबका युवा नेतृत्व की बात कर रहा है और देश का राजनीतिक मिजाज भी ऐसा ही है की कांग्रेस का नेतृत्व कोई युवा करे उसमें पहला नाम राहुल गांधी का आता है राहुल गांधी पूर्व में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। राहुल गांधी ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अध्यक्ष पद त्याग दिया था उसके बाद से ही यह पद अंतरिम अध्यक्ष के रूप में श्रीमती सोनिया गांधी संभाल रही हैं !
सवाल यह भी है कि राहुल गांधी ने अध्यक्ष का पद क्यों छोड़ा था ? इस पर कांग्रेस के भीतर ना तो मंथन हुआ और ना ही चिंतन हुआ होगा ! राहुल गांधी के अध्यक्ष के पद को छोड़ने पर कांग्रेस के ईमानदार वफादार और सक्रिय कार्यकर्ताओं ने चिंतन किया और वही कांग्रेसी आज राहुल गांधी को शिव से कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहा है, कांग्रेस का नेतृत्व राहुल गांधी संभाले यह आवाज कांग्रेस के स्वयंभू नेताओं की तरफ से भी सुनाई देती है मगर उनकी आवाज वैसी लगती है जैसे कहावत है की
" मुंह में राम बगल में छुरी "
कांग्रेस के स्वयंभू नेता राहुल गांधी को कांग्रेस का नेतृत्व करने की बात तो करते हैं लेकिन जब नेतृत्व संभालने का समय आता है तब वह कोई ना कोई बहाना ढूंढ लेते हैं जैसे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और अब कोरोना महामारी ? राहुल गांधी की छवि को लेकर सवाल भी खड़े होते हैं ! चुनावों में कांग्रेस की हार पर भाजपा और उनके समर्थक सीधा राहुल गांधी पर हमला करते हैं और राहुल गांधी की छवि को नकारात्मक बना ने में कामयाब हो जाते हैं दरअसल यह मौका भा जा पा को कांग्रेस के मठाधीश ही देते हैं ! यदि राहुल गांधी की कार्यशैली और देश और जनता के प्रति उनके विचारों पर बात करें तो, 7 साल में अनेक बार ऐसे अवसर आए जब उन्होंने भा ज पा सरकार को बैकफुट पर खड़ा किया, राहुल गांधी के विचारों और सुझावों के कारण देश की जनता के बीच राहुल गांधी की छवि सकारात्मक बनती हुई दिखाई दी लेकिन राहुल गांधी की छवि उस समय नकारात्मक बन जाती है जब वह अपनी पार्टी के अंदर जिम्मेदारी लेते हुए नहीं दिखाई देते हैं, लंबे समय से कांग्रेस के भीतर नेतृत्व के संकट का सवाल खड़ा हो रहा है और नेतृत्व के मायने सीधे-सीधे राहुल गांधी हैं ऐसे में कांग्रेस के मठाधीश बार-बार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव क्यों डालने में लगे हुए हैं। इससे राहुल गांधी की छवि नकारात्मक बनती हुई दिखाई दे रही है जबकि राहुल गांधी इस समय सकारात्मक कार्य कर रहे हैं जिससे उनकी छवि जनता के बीच सकारात्मक बनती हुई दिखाई दे रही है। ऐसे में कांग्रेस के मठाधीश उस छवि को नकारात्मक बनाने में क्यों जुड़े हुए हैं ? कांग्रेस को नहीं बल्कि श्रीमती सोनिया गांधी को स्वयं इस पर मंथन करना होगा की आखिर कार यह मठाधीश नेता बार-बार कांग्रेस के अंतरिम चुनावों को क्यों निरस्त कर रहे हैं ? कोरोना महामारी के दौर में राहुल गांधी के सकारात्मक सुझाव और सवाल वह भविष्यवाणियां , भी इशारा करती हैं की इस समय राहुल गांधी को कांग्रेस का नेतृत्व करना चाहिए !
क्योंकि इस समय राहुल गांधी के द्वारा कोरोना महामारी और आर्थिक संकट पर कही गई बातें जनता के मन में बैठने लगी है और इन बातों के कारण सत्ताधारी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं इसका लाभ कांग्रेस को उठाना चाहिए और यह लाभ तब मिलेगा जब राहुल गांधी स्वयं बड़ी जिम्मेदारी पार्टी के भीतर लेंगे ? बार-बार राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव निरस्त करने से फायदा कांग्रेस के किन-किन मठाधीश को हो रहा है इस पर भी मंथन और चिंतन करना चाहिए ?
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Devendra Yadav Sr. Journalist |
कांग्रेस में सिर्फ राहुल गांधी ही अध्यक्ष बनने लायक है बाकी नेता क्या कांग्रेस में गांधी परिवार की हजूरी करने के लिए है जब पूरे देश को मालूम है कि भाजपा को गांधी परिवार के नाम पर घेरने के बहुत मुद्दे हैं तो राहुल को छोड़ कर अन्य पर विचार किया जाना चाहिए ताकि सत्तर साल गांधी परिवार वंशवाद से तो पार्टी बच सके और जब देश की जनता समझ चुकी है कि राहुल गांधी मुस्लिम खानदान से है मां ईसाई हैं बहन ने ईसाई से शादी कर ली है जब पूरे ही परिवार का हिन्दू धर्म से कहीं कोई नाता नहीं है तो फिर इस देश की सत्तर फीसदी हिन्दू जनता इनके नाम पर देश की सत्ता इन्हें केसे सोप देगी जबकि देश में हिन्दू लहर चल रही है और यह लहर मोदी जी ने चलाई है और इसकी काट हिन्दू ही हो सकता है जनता ने राज्यों में कांग्रेस को जिताया है क्योंकि उन्हें मालूम है कि यहां का राजा हिन्दू ही बनेगा लेकिन जब केंद्र की बात आती है तो सभी के चेहरे के सामने राहुल गांधी का चेहरा नजर आता है और उसका संबंध मुस्लिम धर्म से है
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