कॉन्ग्रेस और राहुल गांधी :: बैक फुट की जगह अब फ्रंट फुट पर दिखाई देने लगे !
2014 के बाद 7 साल में यदि राजनीतिक परिपेक्ष में कॉन्ग्रेस और राहुल गांधी का राजनीतिक विश्लेषण करें तो, दोनों का ज्यादातर समय बैकफुट पर खेलते हुए दिखाई दिया, ऐसा भी नहीं था कि राहुल गांधी और कांग्रेस ठीक से नहीं खेलें उन्होंने 7 सालों में कई बार चौके और छक्के भी मारे लेकिन वह या तो रन आउट होते हुए दिखाई दिए या फिर केंद्र की सत्ताधारी भाजपा सरकार के नेताओं ने उन्हें कैच आउट कर दीया !
नोटबंदी, जीएसटी , राफेल सौदा, भारत-चीन तनाव, समान नागरिकता बिल तीन कृषि बिल जैसे मुद्दों को लेकर राहुल गांधी ने खूब चौके छक्के मारे लेकिन वह या तो रन आउट हुए या फिर सरकार में बैठे नेताओं ने कैच लपक कर आउट कर दिया !
लेकिन कोविड-19 एक ऐसा मैच बनकर आया जिसमें राहुल गांधी खूब चौके छक्के मार रहे हैं सत्ताधारी भाजपा ना तो राहुल गांधी को रन आउट कर पा रही है और ना ही उनका कैच लपक पा रही है ! बल्कि भाजपा सरकार ही राहुल गांधी को जमकर खेलने का मौका दे रही है ? कोविड-19 के आगमन से लेकर अभी तक राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार को कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप को लेकर निरंतर आ गां हा करते आ रहे हैं और बीमारी से किस प्रकार से निपटा जाए इसके लिए वह सुझाव भी दे रहे हैं, मगर भाजपा सरकार में बैठे नेता ना केवल राहुल गांधी के सुझाव को दरकिनार कर रहे हैं बल्कि राहुल गांधी का मजाक भी बनाते हुए दिखाई दिए !
मौजूदा वक्त में राहुल गांधी अच्छी बैटिंग इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि दूसरे छोर पर श्रीमती प्रियंका गांधी राहुल गांधी का मजबूती के साथ खड़े होकर साथ दे रही हैं !
राहुल गांधी रन आउट और कैच आउट इसलिए भी हो जाते थे क्योंकि नोटबंदी को यदि छोड़ दे तो, भाजपा सरकार ने अन्य जिन योजनाओं पर काम कर लागू किया है वह योजनाएं कांग्रेस शासन के समय से अटकी पड़ी हुई थी उन्हें भाजपा ने सत्ता में आकर लागू किया जिसमें जीएसटी एफ डी आई समान नागरिकता बिल कृषि कानून धारा 370 राफेल विमान सौदा जैसे अनेक योजनाएं थी जो लंबित पड़ी हुई थी जिन्हें भाजपा ने सत्ता में आकर लागू किया !
जब कॉन्ग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी इन योजनाओं का विरोध करते थे या हैं तो भाजपा के नेता इन योजनाओं को कांग्रेस शासन काल की लंबित योजनाएं बताकर कांग्रेस और राहुल गांधी को चुप करा दिया करते थे या हैं और कांग्रेस बैकफुट पर आ जाया करती है लेकिन कोरोना महामारी ने कांग्रेस और राहुल गांधी को फ्रंट फुट पर खेलने का मौका दे दिया है भा ज पा के नेताओं के पास इसका तोड़ अभी तक नजर नहीं आ रहा है जबकि कांग्रेस के पास कहने के लिए और भाजपा सरकार का विरोध करने के लिए बहुत कुछ है क्योंकि देश में आजादी के बाद बीमारियां और महामारी पहले भी आए हैं तब सीमित संसाधन और सीमित धन होने के बाद भी कांग्रेस सरकार ने बीमारियों और महा मारियो का जमकर मुकाबला किया और जनता को मुफ्त में दवाइयां और मुफ्त टी के भी लगवाए थे !
28 मई शुक्रवार को राहुल गांधी ने एक बार फिर से प्रेस वार्ता की और सरकार को सुझाव देकर घेरा भी, लेकिन पूर्व की तरह शुक्रवार को भी भा जा पा के बड़े नेता राहुल गांधी की काट के लिए पत्रकारों के सामने आए !
कोविड-19 मैं राहुल गांधी के द्वारा भाजपा सरकार के खिलाफ उठाए गए मुद्दे और सरकार को दिए गए सुझाव इस समय जनता के दिलों दिमाग में छा गए हैं और जनता को लगने लगा है कि राहुल गांधी ठीक कह रहे हैं लेकिन सरकार मान नहीं रही है, भाजपा के रणनीतिकार ही क्या राहुल गांधी को राजनीतिक ताकत दे रहे हैं यह बड़ा सवाल है ? राहुल गांधी इस समय पूर्ण कालीन राजनीति भी करते हुए दिखाई दे रहे हैं जबकि उन पर पहले आरोप लगता था कि राहुल गांधी अवसर देखकर राजनीति करते हैं, क्योंकि राहुल गांधी कई मौकों पर देश से नदारद हो जाते थे!
![]() |
Devendra Yadav Sr.Journalist |
0 Comments:
Post a Comment
THANKS FOR COMMENTS