आप सब बहुत ढ़ीठ हो, सीखते ही नहीं
एक पांचवीं फेल ,पाखंडी कलम कसाई व्यक्ति आपको समझाता है कि यह जो राजा का बेटा है बस यही ईश्वर है ,इसी की प्रशंसा करो ,इसी के नाम को रटते रहो ,इसी के चित्र को पूजते रहो, यह प्रशंसा का बहुत भूखा है इसके एक एक अंग की प्रशंसा करो तब यह आपका उद्धार करेगा ।
सोचो कोन सही है ?
एक तरफ बहुजन समाज के सद्गुरु हैं , बुद्ध कबीर साहब नानक साहब रविदास साहब मोहम्मद साहब ओर भी जो संत हुए हैं,वो आपको समझाते हैं , सत्य है ,सत्य आपके शरीर के भीतर है , सत्य चेतना को अपनी काया के भीतर ही देखो ,काया के भीतर ही दीया जला है ,उसकी प्रशंसा में एक शब्द नहीं बोलना है , काया हिले न कर हिले , जिभ्या हिले न होंठ, वो तो सत्य भीतर ही मिले ,स्थिर होकर बैठ ।
भाईयों और बहनों अध्यापकों, डाक्टर इंजीनियर जितने भी उच्च पद प्राप्त इंसान हैं आप खुद ही पांचवीं फेल पाखंडी की बात मानोगे तो इस भटकते हुए समाज को सही दिशा कौन देगा ?
विचार करो और सबसे पहले खुद मानसिक गुलामी से आजाद बनो ।
सदगुरु कबीर साहब की वाणियो का अध्ययन करो वो कहते हैं ,सब घट मैरा सांईया , सूनी सैंज न कोय बलिहारी वा,पिव की जा घट प्रकट होय।
यानि उस शरीर को बंदगी है,जो मानव शरीर अपनें समस्त विकारों को भग्ग करके यानि नष्ट करके उस परम सत्य चेतना के प्रवाह को खुद अपनी काया के भीतर,अनुभव से देख लेता है ,ऐसे सच्चे गुरु को नमन है , ओर वो सदगुरु आपको भी मार्ग बता देते हैं कि भीतर ही दीया जला है ,उसके लिए बाहर मत भटकों ।
जब तक पांचवीं फेल पाखंडियों की बात मानी जायेगी तब तक आप कर्म काण्ड में खुद भी उलझोगे ओर आने वाली पीढ़ी को भी , पांचवीं फेल पाखंडियों के जाल में उलझाकर रखोगे । सदगुरु कबीर हमें समझाते हैं कि वह सत्य चेतना का प्रवाह आपके भीतर है , उसे शरीर के भीतर ही देखो ।
सांस सांस पर ध्यान दे, एक भी सांस बिना जानकारी के बाहर मत जानें दे ।
केवल सांसों को देखकर अपनें चित्त को स्थिर करो ओर जब मन स्थिर हो जायेगा ,काया के भीतर ठहर जायेगा यह जो आपका मन है ,यह मन काया के भीतर प्रवेश करेगा तो वो जिसे बाहर ढूंढ रहे हो , वह आपके भीतर ही है ।
सुरति उलट स्थिर करो, आठों पहर हुजूर ।
सोचना आपको है, आप किस की बात मानते हो , जगत गुरु बुद्ध सदगुरु कबीर साहब,नानक साहब, रविदास साहब या पांचवीं फेल, पाखंडी कलम कसाई लोगो की बात मानते रहोगे ।
आपको बुद्ध से लेकर डा.भीमराव अम्बेडकर जी तक समझा गय हैं लेकिन आपने कभी भी ,अपनों की नहीं सुनी है , आपको पाखंडियों की बात माननी है तो कोई बात नहीं आने वाला समय खराब है ।
संविधान से जो अधिकार मिले हैं वो सब खत्म होने ही वाले हैं,आपकी आंखों के सामने देश के विभिन्न संस्थान बेच दिए गय हैं ओर हम बिकता हुआ देख रहे हैं। हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि हम संगठित नहीं है , संगठित इसलिए नहीं है कि हमारे विचार एक जैसे नहीं हैं , हमारे तो सद्गुरु भी आदर्श नहीं है ,बहुजन समाज में जन्म लेने वाले बुद्ध कबीर नानक साहब रविदास साहब आपके आदर्श नहीं हैं इसलिए आप संविधान से मिले अधिकारो को छिनता हुआ देख रहे हो ।
समय है, पूजा पाठ कर्मकांड यज्ञ हवन आदि पाखंडियों के मार्ग को छोड़ दो और अपनें सदगुरू ओ का कहना मानो ।
वो सब चले गए हैं लेकिन आप सब बहुत ढ़ींट हो, सीखते नहीं हो ।
इतने ज्ञानी गुरु हमारे देश में पैदा हुए लेकिन आप पाखंडियों की ही सुनते हो ।
आप बुद्ध को नहीं सुनते हैं ,आप कबीर साहब को रविदास साहब को नहीं सुनते हो ।
जो आपको ज्ञान और ध्यान की ओर ले जाते हैं ।
जागो भारत देश के obc SC St बहुजन समाज के लोगों बुद्ध आपको बुलाते हैं , सद्गुरु कबीर जैसे अनेक गुरु आपको आवाज देते हैं ,छोड़ दो गुलामी ।कर्मकांड यज्ञ हवन करके आप सिर्फ पाखंडियों का पेट भरोगे ओर कुछ नहीं ।
डा. भीमराव अम्बेडकर जी के बलिदान को बेकार मत जानें दो संगठित होकर संघर्ष करो जो किसान संघर्ष कर रहे हैं ,उनको भी आपकी जरूरत है , संविधान से मिले अधिकारो को मिलकर बचाओ ।
अपनें दीपक खुद बनो ।
पूजो मत खुद ही पूजनीय बनो ।