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Tuesday, May 4, 2021

5/04/2021 09:43:00 AM

कांग्रेस को ममता बनर्जी की जीत पर खुश होना चाहिए या खुद की हार पर आत्ममंथन करना चाहिए !



 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने जीत हासिल कर अपनी हैट्रिक बनाई, भाजपा के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस की जीत पर सारा विपक्ष खुश नजर आ रहा है ! जितना खुश कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस की जीत और भा ज पा की हार पर खुश नजर आ रही है उतनी ही खुशी शायद भा जा पा को भी होगी की उसने दिल्ली के बाद पश्चिम बंगाल मैं भी कांग्रेस का सफाया  कर दिया है !

कांग्रेस को सुश्री ममता बनर्जी की जीत पर खुश होना चाहिए यह एक अलग बात है मगर कांग्रेस को पश्चिम बंगाल मैं शर्मनाक हार पर आत्ममंथन करना चाहिए,यह एक  अहम  बात है ,की भाजपा, ने  एक रणनीति के तहत पहले दिल्ली में और अब पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को पूरी तरह से बाहर कर दीया है, इससे पहले आंशिक रूप से देश के कई राज्यों में भाजपा ने कांग्रेस को बाहर कर रखा है !  देश के अधिकांश राज्यों में कांग्रेस सत्ता से बाहर है ! के ई राज्यों में  कॉन्ग्रेस  के पास चंद विधायक हैं ! दिल्ली और अब पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के पास एक भी विधायक नहीं है ! शायद यही भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत अभियान है जिसे कांग्रेस ना तो अभी तक समझी है और ना ही समझने का प्रयास कर रही है,  जबकि भाजपा धीरे धीरे अपने इस अभियान में सफल होती जा रही है,

  कांग्रेस का आम कांग्रेस जन अपनी जीत की खुशी का इंतजार कर रहा है, और शायद सोच रहा होगा की हम जीत का जश्न कब मनाएंगे ? शायद यह बात कांग्रेस के नेताओं   को समझ  नहीं आ रही है ! कॉन्ग्रेस  के पास  उसका केडर  देशभर में  आज भी  मौजूद है, सवाल सिर्फ इतना है की कांग्रेस के नेता उसके डर को ना तो संभाल पा रहे हैं और ना ही समेट पा रहे हैं!  एक के बाद एक हार के कारण कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता अपने नेताओं के रवैया और व्यवहार के कारण कुंठित होकर अपने घरों के अंदर बैठा हुआ है जिसे आज बाहर निकालने की जरूरत है जो कांग्रेस के क्षत्रप नहीं कर पा रहे हैं!

 पांच राज्यों के चुनाव खत्म हो गए हैं अब कांग्रेस जनों और देश को इंतजार है कांग्रेस के स्थाई राष्ट्रीय अध्यक्ष का जिसके बारे में कहा गया था कि मई महीने के अंत में कांग्रेस को नया अध्यक्ष शायद मिल जाएगा !

 देश के राजनीतिक पंडित और विश्लेषक दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की जीत के बाद और अब बंगाल में ममता बनर्जी की जीत के बाद यह अनुमान  लगा रहे हैं कि 2024 के आम चुनाव में ममता बनर्जी विपक्ष का प्रमुख चेहरा होंगी ? राजनीतिक पंडित और विश्लेषकों ने अनुमान तो नीतीश कुमार  और केजरीवाल को लेकर भी लगाया था आज नीतीश कुमार भा जा पा के साथ मिलकर बिहार में दूसरी बार सरकार बना कर बैठे हैं तो वही केजरीवाल कोरोना महामारी के बीच ऐसे उलझे हुए हैं की उन्हें भी मोदी सरकार की तारीफ करने मैं गुरेज नहीं हो रहा है ऐसे में भविष्य को लेकर कैसे कहा जा सकता है कि 2024 में मोदी का विकल्प सुश्री बनर्जी बनें गी क्योंकि 2024 मैं अभी काफी वक्त है !

 बिहार दिल्ली और पश्चिम बंगाल के चुनावों पर अगर नजर डालें तो भा जा पा का उद्देश्य इन राज्यों में कांग्रेस को कमजोर करना था क्योंकि आने वाले समय में भा ज पा का देश के अंदर यदि कोई विकल्प बनेगा तो वह कांग्रेस ही होगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में यदि कोई नेता सामने आएगा तो वह भी कांग्रेस से ही होगा इसे भाजपा के रणनीतिकार अच्छे से समझते हैं इसीलिए उनका प्रमुख उद्देश्य राज्यों से कांग्रेस का खात्मा करने का होता है जिसमें वह सफल भी होते हुए दिखाई भी देते हैं पूर्ण रूप से या फिर आंशिक रूप से !

 बंगाल चुनाव में भाजपा ने देश की दो बड़ी प्रमुख पार्टियों को एक साथ बंगाल से बाहर कर दिया ! कांग्रेस और वामदल यह दोनों ही पार्टियां एक समय देश और बंगाल में मजबूत पाटिया रही हैं ! देश के भीतर कांग्रेस भाजपा और वामदल यह तीनों पार्टियों राष्ट्रीय स्तर पर जनता के बीच अपनी प्रमुख पहचान रखती हैं और इन तीनों पार्टियों का देशभर में अपना कैडर है !

 कुल मिलाकर कांग्रेस को दूसरों की जीत पर खुश होने की जगह अपनी हार पर अधिक मंथन करना होगा, क्योंकि जनता की नजर में आज भी भा जा पा का विकल्प कांग्रेस ही है इसे कांग्रेस को समझना होगा इसे भाजपा अच्छे से समझ रही है लेकिन कांग्रेस नहीं समझ पा रही है !

Devendra Yadav
Sr.Journalist



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