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Friday, May 21, 2021

5/21/2021 12:12:00 PM

राजस्थान: कोरोना महामारी के बीच कॉन्ग्रेस विधायक का इस्तीफा, मायने क्या है ?




राजस्थान देश के उन राज्यों में शुमार है जिन राज्यों में कोरोना महामारी का प्रकोप अधिक है, ऐसे समय में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वह विधायक हेमाराम चौधरी का इस्तीफा देना क्या राजनीतिक संकेत देता है ?

 देश में कोरोना महामारी और कॉन्ग्रेस की अंदरूनी राजनीति दोनों के हालात इस समय ठीक नहीं दिखाई दे रहे हैं ! जहां तक कोरोना महामारी की बात करें तो अशोक गहलोत और उनकी सरकार ने, कोरोना महामारी से निपटने के लिए बेहतर प्रबंध किए हैं,  2011 में अशोक गहलोत सरकार के द्वारा बनाई गई मुफ्त दवा और मुफ्त जांच की योजना आज प्रदेश की जनता के लिए कारगर सिद्ध हो रही है वही कोरोना संकट के दरमियां भी अशोक गहलोत ने प्रदेश की जनता के लिए चिरंजीवी योजना बनाकर और उसे लागू कर बड़ा काम किया है यही नहीं अशोक गहलोत सरकार ने ब्लैक फंगस बीमारी को महामारी घोषित कर अच्छा कदम उठाया है !  जिन राज्यों में कोरोना महामारी विकराल रूप से दिखा रही है उन राज्यों की की सरकारों पर मैनेजमेंट और उपचार को लेकर अनेक सवाल खड़े हो रहे हैं लेकिन राजस्थान एक ऐसा प्रदेश है जहां से सवाल उतने उठते नहीं दिखाई दे रहे जितने सवाल दिल्ली उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश बिहार से सुनाई दे रहे हैं ,  इससे लगता है कि राजस्थान सरकार कोरोना महामारी से बचाव के लिए ठीक काम कर रही है और इसकी क्रेडिट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की दूरदृष्टि स्वास्थ्य विभाग की मेहनत और परिपक्वता प्रदेश की जनता का सरकार के प्रति विश्वास और उसका धैर्य और प्रदेश के प्रशासन की परिपक्वता मुख्य कारण है ! राजस्थान इस समय विकट दौर से गुजर रहा है और ऐसे में सत्ताधारी कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी का इस्तीफा देना क्या संकेत देता है !

 जबकि यह समय कांग्रेस के विधायकों को एक साथ मिलकर कोरोना महामारी से लड़ने का है हेमाराम चौधरी के इस निर्णय से ने केवल कांग्रेस और कांग्रेस की सरकार को नुकसान होगा बल्कि हेमाराम चौधरी और सचिन पायलट खेमे को भी इससे राजनीतिक नुकसान होगा ? एक तरफ कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं को मनाने और समझाने का प्रयास कर रही हैं वहीं दूसरी तरफ हेमाराम चौधरी के रूप में तस्वीर नजर आ रही है,  राजनीतिक गलियारों में हेमाराम चौधरी का इस्तीफा,  पूर्व कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की हाईकमान के प्रति नाराजगी को दर्शाता है !  विगत दिनों पायलट ने कांग्रेस से बगावत की थी उस समय लगने लगा था कि अशोक गहलोत सरकार अल्पमत में आकर गिर जाएगी लेकिन हाईकमान ने सचिन पायलट को पायलट की शर्तों पर मना लिया था, इस कारण गहलोत सरकार गिरते-गिरते बच गई थी लेकिन सचिन पायलट जिन शर्तों पर राजी हुए थे वह शर्तें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं शायद इसीलिए पायलट समर्थक कार्यकर्ता नाराज हैं और उनकी नाराजगी का ही परिणाम है कि हेमाराम चौधरी जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया !

मैंने अपने पूर्व के  आर्टिकल में लिखा था की राजस्थान मंत्रिमंडल का पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियां पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और और राजस्थान के उपचुनाव के बाद कोरोना की भेंट चढ़ जाएंगे,  और यह भी लिखा था कि अशोक गहलोत  अपने कार्यकाल के बाकी बचे 2 वर्ष भी कोरोना काल में ही खत्म कर देंगे,  शायद यही अंदेशा अब असंतुष्ट विधायकों को सताने लगा है की कोरोना महामारी के चलते राज्य मंत्रिमंडल का पुनर्गठन और राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होंगी इसे असंतुष्ट नेता गहलोत का एक बहाना रूपी शस्त्र मानते हैं और इसीलिए एक बार फिर से कांग्रेस के असंतुष्ट विधायक दबाव की राजनीति करने में जुट गए हैं ! असंतुष्ट नेताओं की नाराजगी का एक कारण राजनीतिक नियुक्तियां भी हो सकता है क्योंकि अशोक गहलोत एक एक कर अपने खास लोगों की नियुक्तियां कर रहे हैं ,  जबकि पायलट की नाराजगी का एक कारण यह भी था कि कांग्रेस के वफादार और कर्मठ कार्यकर्ताओं को कांग्रेस की सरकार के रहते हुए सम्मान नहीं मिल रहा है पायलट जिस सम्मान की बात कर रहे थे वह सम्मान राजनीतिक नियुक्तियां ही थी ! परिणाम क्या निकलेगा इसका अभी सभी को इंतजार करना होगा !

Devendra Yadav
Sr.Journalist 


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