Hand-Picked/Weekly News

Travel
Saturday, May 8, 2021

5/08/2021 09:11:00 AM

 "सरकारी वैकेंसी और ऑक्सीजन समान क्या?



 देश की जनता को आज सबसे बड़ी जरूरत दो चीजों की है, एक सरकारी नौकरी और दूसरी प्राण वायु ऑक्सीजन की! देश में बेरोजगारी चरम पर है तो वही कोरोना महामारी के कारण मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत है! देश और देश के विभिन्न राज्यों में सरकारी उपक्रमों में खाली पदों की संख्या बहुत अधिक है तो वही देश में ऑक्सीजन की भी कमी नहीं है फिर भी वैकेंसी और ऑक्सीजन को लेकर देश के भीतर मारामारी है! दोनों में एक तरह की समानांतर देखने को मिल रही है और क्या है।

 


सरकारी वैकेंसी देश के विभिन्न राज्यों की अदालतों में अटकी पड़ी हुई हैं, बेरोजगार युवक कप्तानों के और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते नजर आ रहे हैं तो वही ऑक्सीजन के लिए भी देश की विभिन्न अदालतों मैं चक्कर काटते नजर आ रहे हैं!

 


बेरोजगारी और महामारी के इस दौर में जनता किस पर विश्वास करे, सरकार पर या अदालतों पर क्योंकि स्थितियाँ नौकरी की और ऑक्सीजन की जस की शांति बनी रहे हैं!
सरकार की प्राथमिकता जनता को जवाबदेही की है, और सरकार जनता को जवाब देने की जगह अदालतों में मैं जवाब दे रहा हूं क्योंकि अदालतें जनता की आवाज वन कर सरकार से सवाल पूछ रही हैं! जनता का सवाल सरकार से है की सरकार
और ऑक्सीजन जनता को क्यों नहीं मिल रही है, जनता का सीधा सवाल सरकार से था जिसका समाधान निकाल कर जनता को सरकार के द्वारा जवाब देना था लेकिन जनता के सवाल का जवाब सरकार अदालतों के माध्यम से दे रही है। है क्योंकि जनता की आवाज वन कर अदालतें खड़ी हुई है जो सरकार से जनता के सवालों का जवाब मांग रही है लेकिन अभी भी जो समाधान होना चाहिए वह दिखाई नहीं दे रहा है सरकार की ओर से केवल जवाब ही दिया जा रहा है समाधान नहीं है!

जहां तक ​​कोरोना महामारी की समस्या के समाधान पर भरोसा और विश्वास की बात करें तो जनता की आवाज अदालत और सेना पर भरोसे के प्रति अधिक दिखाई और सुनाई दे रही है जनता को अदालत और सेना पर पूरा भरोसा है सेना और अदालत दोनों ही जनता का मनोबल है। अपने खुद के स्तर पर बढ़ा रहे हैं!

राज्य और केंद्र के बीच कोरोना महामारी की समस्या के समाधान का पेज फैंसा हुआ है, ऐसे में कई सवाल खड़े हुए सवाल देश में स्वास्थ्य इमरजेंसी लगाने और देश में राष्ट्रपति शासन लगाने जैसे सवाल भी उठे लेकिन एक बार फिर कह रहे हैं की हेल्थ इजेन्सी और राष्ट्रपति शासन लगने से क्या समाधान हो जाएगा, क्योंकि सरकार भी वही है और ब्यूरो सचिव भी वही हैं और बीमारी भी वही है! ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि सरकार राष्ट्रीय स्तर पर निष्पक्ष अनुभवी विशेषज्ञों की टीम का गठन करे, टीम को स्वतंत्र और निर्दयी संवैधानिक अधिकार मिले!

देवेंद्र यादव
सीनियर जर्नलिस्ट


0 Comments:

Post a Comment

THANKS FOR COMMENTS