राम मंदिर जमीन खरीद घोटाला
सच्चाई क्या ?
क्या विपक्ष भाजपा के जाल में फस रहा है ?
उत्तर प्रदेश में चल रही सियासी उठापटक के बीच अचानक राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई जमीन का विवाद सामने आ गया !
2021 के मई मध्य से ही उत्तर प्रदेश देश में सुर्खियों में बना हुआ है! कोरोना महामारी से हुई मौत और मौत के बाद गंगा में तैरती लाशें और गंगा के तट पर बालू में दफन लाशों को नोचते हुए कुत्तों ने देश में सनसनी फैला दी थी !
क्योंकि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के बनारस लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं इसलिए विपक्ष ने इस मुद्दे पर राज्य और केंद्र सरकार पर व्यवस्था को लेकर जमकर आरोप लगाए, विपक्ष के द्वारा लगाए जा रहे आरोपों से घी रि राज्य और केंद्र सरकार, को उत्तर प्रदेश को राजनीतिक उठापटक ने कुछ हद तक राहत पहुंचाई मगर राजनीतिक उठापटक के कारण देश में संस्कारी भाजपा सरकार की फजीहत भी होती हुई दिखाई दी ! उत्तर प्रदेश की राजनीतिक उठापटक को कंट्रोल करने के लिए उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक आर एस एस और भाजपा के शीर्ष नेताओं ने प्रयास भी किए और प्रयास अभी भी जारी है !
उत्तर प्रदेश में अलिफ लैला के किस्से अभी समाप्त नहीं हुई बल्कि, कोरोना महामारी से हुई मौतें राजनीतिक सियासत में उठापटक के बाद, एक और किस्सा सामने आ गया है भगवान श्री राम मंदिर के निर्माण के लिए ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई जमीन का !
विपक्ष का आरोप है कि ट्रस्ट ने महंगे दामों पर जमीन खरीदी है,
विपक्ष को लगता है कि जमीन खरीद मैं घोटाला हुआ है !
विपक्ष का कहना है कि राम मंदिर निर्माण के लिए देश की जनता ने चंदे के रूप में पैसा दिया है इसलिए इस प्रकरण की न्यायिक जांच होनी चाहिए ! आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को उठाया उसके बाद समाजवादी पार्टी और कॉन्ग्रेस ने भी घोटाला होने का शक करते हुए न्याय की मांग की !
जमीन खरीद विवाद और विपक्ष का ट्रस्ट पर आरोप ?
मंदिर निर्माण के लिए देश की आम जनता ने पैसा दिया है इसलिए इसकी जांच होनी चाहिए? जांच पहले इस प्रकरण पर राजनीति और सियासत होती हुई दिखाई देने लगी है, इसकी वजह आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव समझे जा रहे हैं ! विपक्ष के आरोप की राम मंदिर निर्माण के लिए पैसा देश की जनता ने दिया है ,यदि उस पर बात करें तो, देश की जनता ने राम मंदिर निर्माण के लिए पहली बार पैसा नहीं दिया है इससे पहले भी शिला पूजन के नाम पर अरबों रुपए का चंदा देश की जनता ने दिया था, लेकिन उस पैसे का हिसाब जनता ने आज तक नहीं मांगा, चुनाव के वक्त सियासत करने वाले नेता जरूर हिसाब मांगते हुए दिखाई दिए ! भारतीय संस्कृति में परंपरा है कि दान देने वाला दान दाता कभी दिए गए ,दान का ना तो हिसाब मांगता है ,और ना ही उसे सार्वजनिक करता है, और ना ही विवाद में खड़ा करता है !
इसे कोरोना महामारी से समझे कोरोना महामारी के दूसरे चरण में ऑक्सीजन दवाइयां और अस्पताल में बेड के लिए अफरा तफरी मची लेकिन पीड़ित जनता ने सरकार से कोरोना महामारी के समय प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में दिए गए अरबों रुपए के चंदे का हिसाब नहीं मांगा, सरकार से हिसाब राजनीति सियासत करने वाले नेताओं ने ही सरकार से मांगा था ! अब सवाल यह उठता है कि जिस जनता के द्वारा दिए गए चंदे और जनता के पैसों पर हुए घोटाले का आरोप विपक्ष लगा रहा है,आम जनता तो पहले भी खामोश थी और आज भी खामोश है,
जनता की खामोशी और विपक्ष का ट्रस्ट पर घोटाले का आरोप राजनीति करने को जन्म देता हुआ दिखाई दे रही है, इसका फायदा विपक्ष को मिलता हुआ नजर नहीं आ रहा है क्योंकि जनता खामोश है बल्कि इसका फायदा भाजपा को मिलेगा जैसा भा ज पा चाहती थी वैसा ही उत्तर प्रदेश में होता हुआ दिखाई दे रहा है राम मंदिर मुद्दे को भा ज पा गर्म करना चाहती थी और वह जमीन खरीद विवाद ने गर्म कर दिया है क्या विपक्ष भाजपा के जाल में फंस गया है ?
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Devendra Yadav Sr. Journalist |