Hand-Picked/Weekly News

Travel
Friday, July 2, 2021

7/02/2021 10:16:00 AM

कैप्टन अमरिंदर सिंह और अशोक गहलोत हाईकमान की जरूरत या मजबूरी है ?



-Devendra Yadav-


पंजाब और राजस्थान में कांग्रेस के भीतर लंबे समय से नेताओं के बीच चल रही उठापटक थमने का नाम नहीं ले रही है बल्कि जैसे-जैसे इन राज्यों मैं भविष्य में विधानसभा चुनाव होने की तारीख नजदीक आ रही है वैसे वैसे इन प्रदेशों में नेताओं के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है !



पंजाब और राजस्थान मैं छत्रप का विवाद हाईकमान की चौखट पर निर्णय के लिए पहुंच चुका है ! दोनों राज्यों में हाईकमान ने समन्वय कमेटी भी बना रखी है लेकिन छत्रप का विवाद समन्वय कमेटी के बस के बाहर दिखाई दे रहा है ! क्योंकि कमेटी में भी वही लोग हैं जिनको लेकर उनके अपने राज्यों में भी आपस में विवाद है ! शायद इसीलिए पंजाब और राजस्थान में हाईकमान ने जिन नेताओं को दिल्ली से इन राज्यों में भेज कर समस्या का निस्तारण करने को कहा था वह ठीक से ना तो निस्तारण कर पाए और ना ही हाईकमान को वास्तविक स्थिति से अवगत करवा पाए ।


यही वजह है कि नाराज नेताओं ने अंततः स्वयं हाईकमान का दरवाजा खटखटाया ! पंजाब और राजस्थान कांग्रेस के भीतर एक जैसी स्थिति है दोनों ही जगह सत्ता पर लंबे समय से अमरिंदर सिंह और अशोक गहलोत कुंडली मारकर बैठे हुए हैं ! पंजाब और राजस्थान में युवा नेता अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं? अब लगता है इन युवा नेताओं के सब्र का बांध टूटता हुआ दिखाई दे रहा है? क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह और अशोक गहलोत अभी भी नहीं चाहते कि वह अपने राज्यों से बाहर रहकर राजनीति करें !

पंजाब और राजस्थान दोनों ही राज्यों के नाराज नेता पार्टी हाईकमान के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं, राजस्थान के नाराज नेता सचिन पायलट तो राहुल गांधी प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं कर पाए लेकिन पंजाब के नेता नवजोत सिंह सिद्धू की प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात हो गई है! इस मुलाकात से क्या निकला इस पर अभी पर्दा है, पर्दा कब खुलेगा इसका इंतजार करना होगा, लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और अशोक गहलोत क्या हाईकमान की जरूरत है या मजबूरी है ? क्योंकि दोनों ही राज्यों में दोनों ही नेताओं को लेकर कांग्रेस के भीतर नाराजगी दिखाई दे रही है, नाराज नेताओं की नाराजगी से हाईकमान पूरी तरह से वाकिफ है इसके बावजूद भी हाईकमान दोनों राज्यों के नेताओं की नाराजगी को दूर नहीं कर पा रहा है ? जहां तक जरूरत और मजबूरी का सवाल है, मौजूदा वक्त में हाईकमान के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह और अशोक गहलोत की बड़ी जरूरत है क्योंकि इस समय केंद्र में कांग्रेस की लंबे समय से सरकार नहीं है और देश में पंजाब और राजस्थान जैसा बड़ा राज्य भी कांग्रेस के पास नहीं है !

 केंद्र की सत्ता से बाहर रहते हुए कांग्रेस को राज्य दर राज्य विधानसभा के चुनाव भी लड़ने पढ़ रहे हैं ! कांग्रेस के पास आर्थिक संकट भी है ऐसे में पंजाब और राजस्थान में हाईकमान नेतृत्व परिवर्तन करती है तो उसके सामने आर्थिक समस्या भी खड़ी हो सकती है?

और शायद हाईकमान समझ रहा है कि नेतृत्व परिवर्तन करने के बाद जिन नेताओं को जिम्मेदारी देंगे उन नेताओं में इतनी दम नहीं है कि वह पार्टी के लिए फंड जुटा सकें ? इसी वर्ष पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त हुए हैं और 2022 के प्रारंभ में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें पंजाब भी शामिल है ! इन चुनावों में कैप्टन अमरिंदर सिंह और अशोक गहलोत की एक बार फिर से अहम भूमिका है! इसे हाईकमान अच्छे से समझ रहा है और इसीलिए वह नाराजगी के लिए कोई बीच का रास्ता ढूंढ रहा है, रास्ता क्या होगा इसका हमें इंतजार करना होगा !